आज सारा देश भ्रस्टाचार को लेकर चिंतित है,अन्ना हजारे ने अनशन करके देश में सनशनी फैला दी.पूरा देश इससे पीड़ित होने के कारण लोंगो ने अन्ना को सर पे बिठा लिया यह देश सरकार और देश राजनितिक पार्टिया घबरा गयी ,चुकी देश में सबसे ज्यादा समय तक कांग्रस ने राज किया है तो सबसे ज्यादा कला धन भी उसी के लोंगो का होगा येसा मन जा रहा है, शायद सरकार इसीलिए जयादा चिंतित भी है, अन्ना के अनशन की सफलता को देखते हुए आनन् फानन में भ्रस्टाचार पैर भासन देने वाले बाबा रामदेव भी कूद पड़े उन्होंने भी अनशन शुरू कर दिया .
परिणाम आप सभी के सामने है सरकार को लगा की अगर बाबा से भी सरकार दब गयी तो जगह जगह आन्दोलन शुरू हो जायेगा इसलिए सरकार ने भविष्य की परवाह किये बिना ही बाबा के आन्दोलन को अहिंसात्मक तरीके से कुचल डाला ताकि दूसरा कोई सर न उठा सके .बाबा के अनशन को कुचलने का एक उद्देस्य यह भी समझ में आता है की सरकार यह दिखाना भी चाह रही थी की भ्रस्टाचार के बिरुद्ध बोलने वाले को हम किसी भी हद तक जाकर दबा सकते है .
बहरहाल बाबा को वापस उनके आश्रम पंहुचा दिया गया और एक नाटकीय ढंग से बाबा ने अपना अनशन समाप्त केर दिया और भीड़ को बेवकूफ बनाने के लिए प्रेस वार्ता क़र घोसना कर दी की हम अपना सत्याग्रह जरी रखेंगे ,यहाँ पे एक सवाल मेरे मन में बार -बार उठ रहा है की क्या बाबा को अपने साथियों और आन्दोलन में शामिल करोनो लोगो पे भरोसा नहीं था ? क्या बाबा को ये नहीं पता था की कोई भी आदमी या मंत्री या फिर सरकार उन्हें मार के अपनी कुर्सी गवाना नहीं चाहेगा.पता नहीं क्यों मुझे इसमे सब गड़बड़ झाला लगा .
आज भ्रस्टाचार charam sima पे है jiske karan mahgayi बढाती जा रही है इसमें आम आदमी ज्यादा पिस रहा है .जिनके पास अनैतिक तरीको से पैसा आ रहा है उन्हें तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता परन्तु आम आदमी तो पिस जा रहा है रोज की दल रोटी,बच्चो की फीस आदि.बाप रे बाप आम आदमी कहा से कमाएगा और कितना कमाएगा .ग्राम को शहर बनाया जा रहा है शहर इतना महंगा है की उसमे रहना मुस्किल है. जब लोग अपने परिवार की छोटी छोटी जरूरतों को पूरा नहीं कर पते तो yahi से भ्रस्टाचार की शुरुआत होती है
जब bachcha पैदा होता है तो हॉस्पिटल से ही भ्रस्टाचार को देखना शुरू करता फिर रोजमर्रा की जिंदगी बन जाती .मेरा मानना है की जब तक लोगो के विचारो में परिवेर्तन नहीं आएगा तब तक कानून बना लेने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा .भ्रस्टाचार को रोकने की शुरुआत हम सभी को अपने अपने घरो से करनी होगी .और हर स्तर पे सत्याग्रह करना होगा जो धीरे धीरे jan सत्याग्रह के रूप में बन जाये .जिस दिन हम अपने घरो,मोहल्लो,ग्राम,समाज को भ्रस्टाचार करने से रोक पाएंगे उस दिन सरकार क्या किसी की भी हिम्मत नहीं होगी की भ्रस्टाचार में लिप्त होने की बात सोचे .हमें आज यैसे गाँधी की जरुरत है जो घर घर में भ्रस्टाचार के खिलाफ अलख जगा सके . आज तो जो खुद भ्रस्टाचार के खिलाफ बात कर रहे है वो हवाई जहाज और ए सी का लुफ्त उठा रहे है. ये लोग क्या भ्रस्टाचार को रोकेंगे .सब कुछ त्याग क़र गाँधी बनाना पड़ेगा
परिणाम आप सभी के सामने है सरकार को लगा की अगर बाबा से भी सरकार दब गयी तो जगह जगह आन्दोलन शुरू हो जायेगा इसलिए सरकार ने भविष्य की परवाह किये बिना ही बाबा के आन्दोलन को अहिंसात्मक तरीके से कुचल डाला ताकि दूसरा कोई सर न उठा सके .बाबा के अनशन को कुचलने का एक उद्देस्य यह भी समझ में आता है की सरकार यह दिखाना भी चाह रही थी की भ्रस्टाचार के बिरुद्ध बोलने वाले को हम किसी भी हद तक जाकर दबा सकते है .
बहरहाल बाबा को वापस उनके आश्रम पंहुचा दिया गया और एक नाटकीय ढंग से बाबा ने अपना अनशन समाप्त केर दिया और भीड़ को बेवकूफ बनाने के लिए प्रेस वार्ता क़र घोसना कर दी की हम अपना सत्याग्रह जरी रखेंगे ,यहाँ पे एक सवाल मेरे मन में बार -बार उठ रहा है की क्या बाबा को अपने साथियों और आन्दोलन में शामिल करोनो लोगो पे भरोसा नहीं था ? क्या बाबा को ये नहीं पता था की कोई भी आदमी या मंत्री या फिर सरकार उन्हें मार के अपनी कुर्सी गवाना नहीं चाहेगा.पता नहीं क्यों मुझे इसमे सब गड़बड़ झाला लगा .
आज भ्रस्टाचार charam sima पे है jiske karan mahgayi बढाती जा रही है इसमें आम आदमी ज्यादा पिस रहा है .जिनके पास अनैतिक तरीको से पैसा आ रहा है उन्हें तो कोई फ़र्क नहीं पड़ता परन्तु आम आदमी तो पिस जा रहा है रोज की दल रोटी,बच्चो की फीस आदि.बाप रे बाप आम आदमी कहा से कमाएगा और कितना कमाएगा .ग्राम को शहर बनाया जा रहा है शहर इतना महंगा है की उसमे रहना मुस्किल है. जब लोग अपने परिवार की छोटी छोटी जरूरतों को पूरा नहीं कर पते तो yahi से भ्रस्टाचार की शुरुआत होती है
जब bachcha पैदा होता है तो हॉस्पिटल से ही भ्रस्टाचार को देखना शुरू करता फिर रोजमर्रा की जिंदगी बन जाती .मेरा मानना है की जब तक लोगो के विचारो में परिवेर्तन नहीं आएगा तब तक कानून बना लेने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा .भ्रस्टाचार को रोकने की शुरुआत हम सभी को अपने अपने घरो से करनी होगी .और हर स्तर पे सत्याग्रह करना होगा जो धीरे धीरे jan सत्याग्रह के रूप में बन जाये .जिस दिन हम अपने घरो,मोहल्लो,ग्राम,समाज को भ्रस्टाचार करने से रोक पाएंगे उस दिन सरकार क्या किसी की भी हिम्मत नहीं होगी की भ्रस्टाचार में लिप्त होने की बात सोचे .हमें आज यैसे गाँधी की जरुरत है जो घर घर में भ्रस्टाचार के खिलाफ अलख जगा सके . आज तो जो खुद भ्रस्टाचार के खिलाफ बात कर रहे है वो हवाई जहाज और ए सी का लुफ्त उठा रहे है. ये लोग क्या भ्रस्टाचार को रोकेंगे .सब कुछ त्याग क़र गाँधी बनाना पड़ेगा
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